बाज को यूं मिली घमंड की सजा : अच्छी बाते - कहानियाँ
बाज को यूं मिली घमंड की सजा !
एक बाज को अपनी बहादुरी और काबिलियत पर घमंड था, लेकिन आंधी और बारिश ने उसे दिखा दिया कि घमंड करना अच्छी बात नहीं । कैसे -
एक जंगल में राजा शेरसिंह ने अपने सहयोगियों का समूह तैयार किया । इस समूह में उसने जानवारों और पक्षियों को उनकी काबिलियत के अनुसार पद दिए । एक हाथी को सेनापति बनाया गया और बाज को गुप्तचर प्रमुख ।
बाज बहुत बहादुर था, लेकिन वह घमंडी भी था । वह दावा करता था कि उसकी निगाह जंगल में सभी जीवों से तेज है । साथ ही वह जितनी तेजी से उड़ सकता है, उतना तेज कोई जानवर जमीन पर भी नही भाग सकता । इसलिए वह खुद को सभी जानवरों से बेहतर समझता था ।
एक दिन उसने उड़ते हुए देखा कि जंगल की सीमा पर कुछ सियार हमले की साजिश रच रहे है । उसने अपने बाज साथियों को तुरंत वहां बुलाया और उंन्होंने झपट्टा मारकर सियारों को वहां से भगा दिया । इस दौरान उन्होंने एक सियार को मार भी गिराया ।
जब यह बात शेरसिंह तक पहुंची, तो वे बहुत खुश हुए । उन्होंने उस बाज को बुलाया और इनाम मांगने को कहा। बाज की इच्छा थी कि वह सेनापति बने। उसने कहा, महाराज मैं सभी जीव-जानवरों से श्रेष्ठ हू। इसलिए मुझे आप हाथी के स्थान पर सेनापति नियुक्त करे।
यह सुनते ही शेरसिंह सोच में पड़ गये। उन्होंने कहा, मैने सभी की काबिलियत के आधार पर उन्हें ओहदे दिए है। लेकिन मैने तुम्हे वचन दिया है, इसलिए मै तुम्हे सेनापति नियुक्त करता हूँ । शेरसिंह जानते थे कि यह सही नही है । इसलिए उन्होंने हाथी को वैकल्पिक सेना का मोर्चा संभालने को कहा ।
कुछ दिन बाद जंगल में धूल भरी आंधी आई और बारिश होने लगी। तभी शेरसिंह को हाथी ने सुचना दी कि पड़ोसी सेना उन पर आक्रमण करने के लिए बहुत निकट तक पहुंच चुकी है । हाथी की वैकल्पिक सेना वहां तैनात थी, इसलिए उसे वहां रोक दिया गया है ।
शेरसिंह ने बाज को बुलवाया । बाज ने सिर झुकाते हुए कहा, 'आंधी और बारिश में मैं व मेरे साथी नहीं उड़ सकते। इसी वजह से हमें सुचना नहीं मिल पाई। मैं शर्मिंदा हूँ । '
अब बाज का घमंड उतर चुका था । हाथी की वैकल्पिक सेना ने शेरसिंह को जीत दिलाई ।
एक बाज को अपनी बहादुरी और काबिलियत पर घमंड था, लेकिन आंधी और बारिश ने उसे दिखा दिया कि घमंड करना अच्छी बात नहीं । कैसे -
एक जंगल में राजा शेरसिंह ने अपने सहयोगियों का समूह तैयार किया । इस समूह में उसने जानवारों और पक्षियों को उनकी काबिलियत के अनुसार पद दिए । एक हाथी को सेनापति बनाया गया और बाज को गुप्तचर प्रमुख ।
बाज बहुत बहादुर था, लेकिन वह घमंडी भी था । वह दावा करता था कि उसकी निगाह जंगल में सभी जीवों से तेज है । साथ ही वह जितनी तेजी से उड़ सकता है, उतना तेज कोई जानवर जमीन पर भी नही भाग सकता । इसलिए वह खुद को सभी जानवरों से बेहतर समझता था ।
एक दिन उसने उड़ते हुए देखा कि जंगल की सीमा पर कुछ सियार हमले की साजिश रच रहे है । उसने अपने बाज साथियों को तुरंत वहां बुलाया और उंन्होंने झपट्टा मारकर सियारों को वहां से भगा दिया । इस दौरान उन्होंने एक सियार को मार भी गिराया ।
जब यह बात शेरसिंह तक पहुंची, तो वे बहुत खुश हुए । उन्होंने उस बाज को बुलाया और इनाम मांगने को कहा। बाज की इच्छा थी कि वह सेनापति बने। उसने कहा, महाराज मैं सभी जीव-जानवरों से श्रेष्ठ हू। इसलिए मुझे आप हाथी के स्थान पर सेनापति नियुक्त करे।
यह सुनते ही शेरसिंह सोच में पड़ गये। उन्होंने कहा, मैने सभी की काबिलियत के आधार पर उन्हें ओहदे दिए है। लेकिन मैने तुम्हे वचन दिया है, इसलिए मै तुम्हे सेनापति नियुक्त करता हूँ । शेरसिंह जानते थे कि यह सही नही है । इसलिए उन्होंने हाथी को वैकल्पिक सेना का मोर्चा संभालने को कहा ।
कुछ दिन बाद जंगल में धूल भरी आंधी आई और बारिश होने लगी। तभी शेरसिंह को हाथी ने सुचना दी कि पड़ोसी सेना उन पर आक्रमण करने के लिए बहुत निकट तक पहुंच चुकी है । हाथी की वैकल्पिक सेना वहां तैनात थी, इसलिए उसे वहां रोक दिया गया है ।
शेरसिंह ने बाज को बुलवाया । बाज ने सिर झुकाते हुए कहा, 'आंधी और बारिश में मैं व मेरे साथी नहीं उड़ सकते। इसी वजह से हमें सुचना नहीं मिल पाई। मैं शर्मिंदा हूँ । '
अब बाज का घमंड उतर चुका था । हाथी की वैकल्पिक सेना ने शेरसिंह को जीत दिलाई ।
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